Sunday 29 November 2020

  संपादकीय, 1-15 दिसम्बर 2020 मूलनिवासी टाईम्स

भारत में लाखों लोग बेघर, लेकिन उद्योगपतियों के ठाठ राजाओं और मुगलों से भी आगे: ओबामा



‘Millions are homeless in India, but industrialists are leaving behind kings and Mughals in luxury’: Obama

अमेरिका (America) के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama) ने अपनी नई किताब में भारतीय उद्योगपतियों (India Industrialists) पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने ठाठ बाट में राजाओं और मुगलों को भी पीछे छोड़ दिया है, जबकि लाखों लोग बेघर हैं। अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति रहे ओबामा ने हाल में आई अपनी किताब प्रॉमिस्ड लैंड’ (A Promised Land) में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह Manmohan Singh) के साथ अपनी मुलाकात और अनौपचारिक बातचीत का जिक्र करते हुए भारतीय उद्योगपतियों पर सवाल उठाए। ओबामा ने लिखा कि, देशभर में लाखों लोग गंदगी और जलालत में रहे हैं, अकालग्रस्त गांवों या बदहाल झुग्गी-बस्तियों में जीवन बसर कर रहे हैं। वहीं भारतीय उद्योग के महारथी ऐसा जीवन जी रहे हैं कि इससे राजाओं और मुगलों को भी ईर्ष्या हो जाए। वहीं भारत-पाकिस्तान मुद्दे से लोगों को प्रभावित करने की राजनीति पर ओबामा ने लिखा, ‘‘ पाकिस्तान के प्रति शत्रुता भाव व्यक्त करना राष्ट्र को एकजुट करने का सबसे आसान रास्ता है। ढेर सारे भारतीयों को इस बात पर गर्व है कि पाकिस्तान का मुकाबला करने के लिए देश ने परमाणु हथियार कार्यक्रम विकसित किया। उन्हें इस हकीकत की कोई परवाह नहीं है कि किसी भी तरफ से कोई चूक क्षेत्र का विनाश कर सकती है।’’

भारत का ब्राह्मण-बनिया प्रचार माध्यम ने ओबामा ने राहुल गांधी के बारे में क्या बोला है इसकी चर्चा तो की लेकिन इस बात की चर्चा नहीं की जो उन्होंने भारत के उद्योगपतियों के बारे में बोली है। जबसे नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की सरकार भारत में बनी और देश में लिबरलाइजेशन प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन की नीति को लागू किया गया है तब से देश में गैर-बराबरी भयंकर रूप से बढ़ी है और ओबामा ने यही बात अपनी किताब में लिखी है। मोदी सरकार के आने के बाद अडानी और अंबानी की संपत्ति प्रतिवर्ष दोगुना की रफ्तार से से बढ़ी है जबकि देश के आम आदमी की संपत्ति घटी है और बेरोजगारी महंगाई भयंकर रूप से बढ़ी है। मोदी सरकार पूरी तरह से संविधानवाद को ताक पर रखकर देश की संपत्ति को अडानी और अंबानी जैसे अपने मित्र उद्योगपतियों को सौपने में लगी हुई है। जो बात भारत के विपक्ष के नेताओं उसमें भी मुख्य रूप से मूलनिवासी नेताओं जैसे कि मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, शरद पवार, मायावती, अखिलेश, तेजस्वी इत्यादि को बोलनी चाहिए थी वह बात ओबामा ने बोला है। आखिर क्या बात है की मूलनिवासी नेता इस बात पर चुप्पी साधे हुए हैं कि भारत में  सभी संसाधनों और पूंजी का केंद्रीकरण चंद उद्योगपतियों के हाथ में हो रहा है जोकि भारतीय संविधान के नीति-निर्देशक तत्वों के विरुद्ध है। क्यो कि ये मूलनिवासी नेता भी छोटे मोटे अरबपति बन चुके है और ये भी उद्योगपतियों की तरह शान और शौकत के साथ ऐशों-आराम की जिंदगी गुजार रहें

नवगठित राजनीतिक दल पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक ने जरूर इस संबंध में आवाज उठाई है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी उद्योगपतियों के विरुद्ध और कंसंट्रेशन आफ वेल्थ के विरुद्ध कोई एक्शन नहीं लिया गया है। ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट को संविधान और देश की जनता की चिंता ना होकर केवल सरकार की और उद्योगपतियों की चिंता है। ऐसे में अब जनता को ही अर्थात वी दी पीपल ऑफ इंडिया को ही कुछ सोचना पड़ेगा और देश में बढ़ती हुई गैरबराबरी के विरुद्ध खड़ा होना पड़ेगा। देश के किसान पहले से आंदोलित हैं और देश के किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली की तरफ कूच कर रहे थे और उस समय देश के किसानों के ऊपर ठंड के मौसम में पानी की बौछार करना मानवाधिकार का सरासर उल्लंघन है। छोटी-मोटी बातों का स्वतः संज्ञान लेनी वाली सुप्रीम कोर्ट किसानो के विरुद्ध सरकारी मशीनरी का उपयोग कर उनको उनके प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार से रोकने की बात संज्ञान मे लेने से रही। सरकार अगर कानून बनाने के लिए स्वतंत्र है तो देश की जनता विरोध करने के लिए भी स्वतंत्र है। फिर किसान कोई आतंकवादी नहीं है जिसके विरुद्ध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के विरुद्ध में इतनी कठोर और क्रूरतम कार्यवाही सरकार द्वारा किसानों के विरुद्ध की जा रही है। किसी नेता ने नारा दिया था जय जवान जय किसान आज वर्तमान सरकार ने जवान को ही किसानों से लड़ा दिया है जबकि जवान और कोई और नहीं है वह किसानों का बेटा ही है।


  संपादकीय, 1-15 दिसम्बर 2020 मूलनिवासी टाईम्स भारत में लाखों लोग बेघर , लेकिन उद्योगपतियों के ठाठ राजाओं और मुगलों से भी आगे :...